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सीता कुंड

सीता कुंड

सीता कुंड, बिहार के गया में स्थित है और हिंदू धर्म में पिंडदान के लिए महत्वपूर्ण है। यह स्थान देवी सीता से जुड़ी पौराणिक कथाओं के कारण पवित्र है। माना जाता है कि भगवान राम और देवी सीता ने यहां अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति और मोक्ष के लिए पिंडदान किया था। अनुष्ठान में चावल, तिल और पवित्र जल का अर्पण होता है। सीता कुंड का जल पवित्र है और इसमें स्नान से पापों का नाश होता है। पितृ पक्ष में लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। सीता कुंड की पवित्रता इसे पिंडदान का प्रमुख केंद्र बनाती है।

सीता कुंड का इतिहास

सीता कुंड का नाम महाभारत से जुड़ा है। महाभारत के अनुसार, यह स्थान भगवान राम और देवी सीता के द्वारा बनाया गया था। इस स्थान पर देवी सीता ने अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति और मोक्ष के लिए पिंडदान किया था। इस स्थान की पवित्रता इसे और भी प्रमुख बनाती है। सीता कुंड का नाम महाभारत से जुड़ा है। महाभारत के अनुसार, यह स्थान भगवान राम और देवी सीता के द्वारा बनाया गया था। इस स्थान पर देवी सीता ने अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति और मोक्ष के लिए पिंडदान किया था। इस स्थान की पवित्रता इसे और भी प्रमुख बनाती है।

सीता कुंड की विशेषताएं

  • सीता कुंड, बिहार के गया में स्थित है और हिंदू धर्म में पिंडदान के लिए महत्वपूर्ण है।
  • माना जाता है कि भगवान राम और देवी सीता ने यहां अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति और मोक्ष के लिए पिंडदान किया था।
  • सीता कुंड का जल पवित्र है और इसमें स्नान से पापों का नाश होता है।
  • पितृ पक्ष में लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।

सीता कुंड पर पिंडदान का महत्व

सीता कुंड पर पिंडदान का अनुष्ठान विशेष धार्मिक महत्व रखता है। यहां श्रद्धालु अपने पूर्वजों के आत्मा के लिए पिंडदान करते हैं। इस अनुष्ठान में चावल, तिल और पवित्र जल का अर्पण होता है। सीता कुंड पर पिंडदान का अनुष्ठान विशेष धार्मिक महत्व रखता है। यहां श्रद्धालु अपने पूर्वजों के आत्मा के लिए पिंडदान करते हैं। इस अनुष्ठान में चावल, तिल और पवित्र जल का अर्पण होता है।